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काश वो दिन फिर मिल जाये

मेरे डायरी के कुछ पन्ने
मेरे डायरी के कुछ पन्ने
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काश वो दिन फिर मिल जाये,
संग बिताये वो पल मिल जाये,
तालाब किनारे खड़ी तू
इंतजार में, प्यार में, बेचैन आँखें,
मेरी आँखों से फिर मिल जाये,
मिलती नज़रे, लबों की मुस्कराहट,
उस पल की दिल की आहट फिर मिल जाये
काश वो दिन फिर मिल जाये,
बैठे थे बाग़ में, उस पेड़ की छाँव,
चबूतरे से लटकते हमारे पाँव,
टकराते कंधे, वो प्यार भरी बातें,
कंधे पर सिर, उन बाहों का आसरा फिर मिल जाये
नटखट हवाएं तेरी जुल्फों को मेरे चेहरे पर लहराएं
वो सवंरते-बिखरते अदाएं फिर मिल जाये
जो बातों में प्रेम अधिक घुल जाती,
तेरी निगाहें खुद झुक जाती,
वो शर्माहत, मुस्कराहट, तेरा मुंह बनाना फिर मिल जाये
चूंटी काटना, पंजों का मिलाना, मचलती निगाहें,
छिनना-छुपाना, रूठना-मनना फिर मिल जाये
काश वो दिन फिर मिल जाये,
संग बिताये वो पल मिल जाये

तुम्हारा-अविनाश

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