मेरे डायरी के कुछ पन्ने
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मै तुम्हे भुला रहा था कि तुम याद ना आओ,
तेरी यादों को मिटा रहा था कि तुम याद ना आओ,
तेरी लिखी ख़तों को छुपा रहा था कि तुम याद ना आओ,
ख़ुदा के सामने सर झुका रहा था कि तुम याद ना आओ,
बंद किसी कमरे में अंधेरे से आंखें लड़ा रहा था कि तुम याद ना आओ,
आंखें बरस रही थी, गला गरज रहा था कि तुम याद ना आओ,
आंखों को बार-बार मिसल रहा था की तुम याद ना आओ,
आइना भी अब मुझे नहीं दिखा रहा था
जो फूल तोड़े थे तेरे लिए वो,
मेरे सुने जोहन में खुसबू लुटा रहे थे
आज रात चांदनी मुझे तपा रही थी,
चांद मेरी बेबसी पर मुस्करा रहा था
तुझसे किये वादों को निभाने की ताकत कहाँ बची थी,
चाहता था अपनी साँसों को सदा के लिए रोक लेना कि तुम याद ना आओ…
तुम्हारा-अविनाश
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