Menu
blogid : 11857 postid : 6

रंगीन पानी

मेरे डायरी के कुछ पन्ने
मेरे डायरी के कुछ पन्ने
  • 10 Posts
  • 9 Comments

एक शराबी मुझसे पुछा, पीते हो क्या जाम?
मैंने उससे झटसे पुछा, क्या है इसका काम?

वह कहने लगा, यह भुला दे सारे गम ।
मैं सोचने लगा, यह तो बना देती बेशर्म ।

वह हँसते- हँसते मुझसे बोला, करवाती यह जन्नत की सैर।
मैंने चिन्तित स्वर में बोला, या करवाए लोगो से बैर।

मैं: मौका है अपने आप को बदल ले,
समय है दोस्त, संभल ले।
तू छोड़ शराब, यह कर देगी तुम्हे खराब।

वह: तू पागल है, तू बेवकूफ़ है, तू मूर्ख है,
यह करती नहीं किसी का नाश,
देती सिर्फ सुखद् ऐहसास।
अब बंद करो अपनी बकबास,
सिर्फ चख और बना ले इस पल को खास।

मैं: रख अपना जाम अपने पास,
नहीं बनना मुझे इसका दास।
रंगीन पानी की गुलामी अब छोड़
और शुरू कर जीवन की नई दौर।
नहीं तो एक दिन तू जरूर पचतायेगा
क्या उस वक़्त खुद नज़रे मिला पायेगा।
part-2
१५ साल बाद शराबी से अचानक हुई मुलाकात |

तेरे जाने के बाद हमने खूब हँसा था,
ना जाने तुझे कितने ताने कसा था |

अगर मान ली होती तेरी बात,
आज मैं भी होता तेरे साथ |

नहीं गिन रहा होता अपने जीवन की उलटी गिनती,
नहीं कर रहा होता कुछ दिन और जीनें की विनती |

समय रहते अगर संभल गया होता,
आज मैं लाचारी और बेबसी में नहीं रोता
तेरी जान ले ली तेरी नादानी ने |

शराबी: भईया कुछ मत बोल,
समझ गया ये जीवन है अनमोल |

भरी पारी जीवन में मस्ती,
अब डूब रही है मेरी कश्ती |

इसलिए देना चाहता हूँ मैं यह संदेश,
फैलाना तुम इसे देश-विदेश |
मेरी विनती हर युवाओं से,
जवानी में झूम रहे लहरों और हवाओं से |
जीवन को शराब से कभी मत तौलना,
और शराबी की भाषा तुम कभी मत बोलना |
वरना अंत में तुम बहुत पछताओगे,
और बीते दिनों की याद में खुद ही शर्माओगे |

मिलेंगे तुझे हजारों अटकाने वाले,
आपने पथ से तुझे भटकने वाले |
इसलिए खालो खुद से एक कसम,
कोई मुझे शराबी बना दे है कहाँ किसी में इतना दम |

-अविनाश गौरव

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply